दरअसल पिछले कुछ महीने से स्थानीय नीति नियोजन नीति में भाषाओं को हटाना जोड़ने को लेकर गठबंधन सरकार के निर्णय में सहयोगी पार्टी कांग्रेस विधायक खुद को काफी असहज महसूस कर रहे हैं मुख्यमंत्री उन्हें कोई तवज्जो नहीं दे रहे कांग्रेसी अपनी हिस्पीड़ा से एक राष्ट्रीय नेताओं को कई बार अवगत करा चुकी है यह तक सरकार के शामिल कांग्रेस कोर्ट के स्वास्थ्य मंत्री बिना गुप्ता में खुलेआम ऐलान कर रखा है कि अगर मृत भाषा पर कोई आंच आएगी तो वह अपनी कुर्सी कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटे गा पांच राज्यों में चुनाव बाद कांग्रेसी विधायकों में बेचैनी बढ़ी उन्हें लग रहा है कि अगर जो मुंह 1920 की ख्याति के आधार पर आगे बढ़ता है तो शहरी वोट का बड़ा नुकसान होगा जब जब इस मुद्दे को किसी ने छुआ है वैसा है यह राज्य में प्रथम मुख्यमंत्री ने इस आधार पर स्थानीय को पहचान करने की नीति लागू की थी तब राज्य में बवाल हुआ और भारतीय जनता पार्टी को रघुवीर दास सरकार ने 1985 का कटऑफ डाटा मानकर स्थानीय नियोजन नीति बनाई इस समय उसका काफी विरोध हुआ और आदिवासियों मूलवासी यह फैल गया कि राज्य नौकरी पर भारी का बीज हो जाएगा हेमंत सोरेन के सरकार के पिछले कुछ महीने में अनुसार बनाई गई लोगों को नौकरी में आरक्षण की प्रदान किए गए हैं इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में राज्य सरकार को सुझाव दिया और स्थानीय नीति को परिभाषित किया जहां नहीं तो राज्य निकली जा रही थी सभी भारतीय कानून पिछड़े में फस जाएगी ©Ek villain #स्थानीय नीति आगे कुआं पीछे खाई #Hope