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मेरी एक भूल थी, के दी पनाह तुझको दिल में, तूने उस


मेरी एक भूल थी,
के दी पनाह तुझको दिल में,
तूने उसी को दर्द देकर,
ना बक्शी मेरी आँखों को भी।

लाख कहते हैं लोगों के, 
इश्क़ बड़ा सुहाना होता हैं,
लेकिन यह तब मुकम्मल होता है,
जब दिल से दिल मिलते हैं।

यहाँ तो आँखों का पैग़ाम,
दिल में घर करने से पहले ही,
कोई छोड़ गया हमें,
दर्द की दास्तान लिखने।

वह एक भूल थी मेरी,
जो मेरे दर्द का सबब बनी,
किसी पर भरोसा करने की,
यह सजा मुझको मिली।

-Nitesh Prajapati (Niharsh)  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1107 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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मेरी एक भूल थी,
के दी पनाह तुझको दिल में,
तूने उसी को दर्द देकर,
ना बक्शी मेरी आँखों को भी।

लाख कहते हैं लोगों के, 
इश्क़ बड़ा सुहाना होता हैं,
लेकिन यह तब मुकम्मल होता है,
जब दिल से दिल मिलते हैं।

यहाँ तो आँखों का पैग़ाम,
दिल में घर करने से पहले ही,
कोई छोड़ गया हमें,
दर्द की दास्तान लिखने।

वह एक भूल थी मेरी,
जो मेरे दर्द का सबब बनी,
किसी पर भरोसा करने की,
यह सजा मुझको मिली।

-Nitesh Prajapati (Niharsh)  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1107 #collabwithकोराकाग़ज़

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