जीत ले तू हर असंभव, कर्म का बस कर चयन। कर्म के धागों से बंधित चक्र ये जीवन मरण। कर यकीन तू शौर्य है हां तेरे भांति कौन और? हर प्रतिष्ठा मान तुझसे, हृदय का हर कण तरुण। (शेष कविता अनुशीर्षक में पढ़े...) जीत ले तू हर असंभव, कर्म का बस कर चयन। कर्म के धागों से बंधित चक्र ये जीवन मरण। कर यकीन तू शौर्य है हां तेरे भांति कौन और? हर प्रतिष्ठा मान तुझसे,