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उन्हें मिलना था भाग -६ पुरुषोत्तम सर क्लास ले रहे

उन्हें मिलना था

भाग -६ पुरुषोत्तम सर क्लास ले रहे थे तब अंश और उसके दो दोस्त अर्नब और निपुन लैपटॉप में पढ़ाई बाला टॉपिक छोड़ कुछ देखकर हस रहे थे।ये सब हरकत बहत जन से छुपा नहीं था फिर भी सब चुप थे लेकिन अकेला समापीका को यह बर्दाश्त नहीं था।वो  खड़ी होकर सर से तीनों का सिकायात कर दी।सर जब तीनों को खड़ा कर पूछताछ किए तो अंशु सारा गलती खुदका है बोलकर उन दोनों को बचा लिया।दोनों कुछ बोलने हीं बाले थे कि दोनों को चुप करबा दिया।अंशु को पनिस्मेंट के तौर तीन दिन के लिए क्लास से सस्पेंड किया गया।हालाकि क्लास के सब जानते थे कि उसका ज्यादा गलती नहीं था।उससे ये उम्मीद नहीं था कहकर सर वहां से चले गए।पढ़ाई में इतना अच्छा अंशु का ऐसे कुछ गलतियां या हरतक पहले से दर्ज नही था इसलिए सिर्फ तीन दिन क्लास ना करने जैसे पनिशमेंट मिला था उसे।लेकिन उसके लिए वो छोटा नहीं था।

बाहर निकलते ही सारे स्टूडेंट समापिका को घेर लिए।
"आज बहत बड़ा तीर मार लिया ना तूने"
उस भीड़ के अंदर से एक लड़की की आवाज आई।
तुम क्या सोच रहे हो खुदको ?बड़ा महान ना? तो सुनो वो सर भी जानते है कि अंशु कुछ गलत कर ही नहीं सकता।
और एक दोस्त भी सुरु हो गया,"उसका तीन दिन का पढ़ाई तुम बरबाद किए हो ना,देखना आगे तुम यहां कैसे चैन से पढ़ सकते हो।
तुम जानते ही कितना उसे? खुद का दुख भूल जो दूसरों को हसाता,उनके दुखों को खुशियों में तब्दील करता इंसान है हो।तुम्हारे तरह स्वार्थी नहीं।"
उन्हें मिलना था

भाग -६ पुरुषोत्तम सर क्लास ले रहे थे तब अंश और उसके दो दोस्त अर्नब और निपुन लैपटॉप में पढ़ाई बाला टॉपिक छोड़ कुछ देखकर हस रहे थे।ये सब हरकत बहत जन से छुपा नहीं था फिर भी सब चुप थे लेकिन अकेला समापीका को यह बर्दाश्त नहीं था।वो  खड़ी होकर सर से तीनों का सिकायात कर दी।सर जब तीनों को खड़ा कर पूछताछ किए तो अंशु सारा गलती खुदका है बोलकर उन दोनों को बचा लिया।दोनों कुछ बोलने हीं बाले थे कि दोनों को चुप करबा दिया।अंशु को पनिस्मेंट के तौर तीन दिन के लिए क्लास से सस्पेंड किया गया।हालाकि क्लास के सब जानते थे कि उसका ज्यादा गलती नहीं था।उससे ये उम्मीद नहीं था कहकर सर वहां से चले गए।पढ़ाई में इतना अच्छा अंशु का ऐसे कुछ गलतियां या हरतक पहले से दर्ज नही था इसलिए सिर्फ तीन दिन क्लास ना करने जैसे पनिशमेंट मिला था उसे।लेकिन उसके लिए वो छोटा नहीं था।

बाहर निकलते ही सारे स्टूडेंट समापिका को घेर लिए।
"आज बहत बड़ा तीर मार लिया ना तूने"
उस भीड़ के अंदर से एक लड़की की आवाज आई।
तुम क्या सोच रहे हो खुदको ?बड़ा महान ना? तो सुनो वो सर भी जानते है कि अंशु कुछ गलत कर ही नहीं सकता।
और एक दोस्त भी सुरु हो गया,"उसका तीन दिन का पढ़ाई तुम बरबाद किए हो ना,देखना आगे तुम यहां कैसे चैन से पढ़ सकते हो।
तुम जानते ही कितना उसे? खुद का दुख भूल जो दूसरों को हसाता,उनके दुखों को खुशियों में तब्दील करता इंसान है हो।तुम्हारे तरह स्वार्थी नहीं।"