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माया का सैलाब, फैल रहा संसार में; सत्य भी डूब रहा

माया का सैलाब, फैल रहा संसार में; 
सत्य भी डूब रहा, ज्ञान के अंधकार मे! 

तोड़ दो अब बेड़ियाँ, जब मुक्ति की बात हो!
  कैदी को कहाँ दिख रहा, की अब वो आजाद है ।

सूर्य सा सत्य भी, माया के ग्रहण लग चुका, 
अब आँखों को ना दिख रहा की जीवन उसका अंधकार है ।

©Shayar Suryavanshi #sunrisesunset #Satya #jivankasaar #satyakatha #Andhkar #mukti #Agyaan #poem #poeatry