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"आंख नम है शत-शत नमन है" फिर से लोगों को तिरंगे क

"आंख नम है शत-शत नमन है"

फिर से लोगों को तिरंगे की रखवाली करनी होगी ।
उन देश के गद्दारों की अब गिनती करनी होगी। जो जानते नहीं वीरों की कुर्बानी को।
घर घर जाकर ढूंढो ऐसे गद्दारों को। गर नहीं वतन यह उनका है, बोरिया बिस्तर बांध कर निकालो उनको।
याद करो कैसे एक एक जवान के घर वालों ने कैसे खोया अपनों को।
जब घर आया था, तिरंगे पर लिपटा ।           
वह मां ,बीवी बेटी ने हफ्तों  तो तक रोटी भी ना खाई थी।
अपने जवानों के दिए गए बलिदान व्यर्थ ना जाएंगे। हम देशवासी उनके संग खड़े हैं।जो उंगलियां उठाते हैं देश पर।
कुछ दिन उनको भी वर्दी पहना कर भेजो सरहद पर। फिर नहीं करेंगे शुबह , किसी पर।
जब खुद की जान पर बन आएंगी। यह तो वो  मां का वीर योद्धा है ।जो सरहद पर है ।जो तुम्हें चैन की नींद नसीब है। तुम क्या जानो सरहद के रात -दिन कैसे होते हैं।
गोला बारूद की आवाजों को जो मां की लोरी समझ खड़ा रहता सरहद पर । शत शत नमन है ,उस वीर जवान पर ,उस देश के वीर बेटों पर।
जय हिंद जय भारत 🇮🇳🇮🇳
उपासना मिश्रा ✍️

©Upasna Misra #PulwamaAttack #ourheroes
"आंख नम है शत-शत नमन है"

फिर से लोगों को तिरंगे की रखवाली करनी होगी ।
उन देश के गद्दारों की अब गिनती करनी होगी। जो जानते नहीं वीरों की कुर्बानी को।
घर घर जाकर ढूंढो ऐसे गद्दारों को। गर नहीं वतन यह उनका है, बोरिया बिस्तर बांध कर निकालो उनको।
याद करो कैसे एक एक जवान के घर वालों ने कैसे खोया अपनों को।
जब घर आया था, तिरंगे पर लिपटा ।           
वह मां ,बीवी बेटी ने हफ्तों  तो तक रोटी भी ना खाई थी।
अपने जवानों के दिए गए बलिदान व्यर्थ ना जाएंगे। हम देशवासी उनके संग खड़े हैं।जो उंगलियां उठाते हैं देश पर।
कुछ दिन उनको भी वर्दी पहना कर भेजो सरहद पर। फिर नहीं करेंगे शुबह , किसी पर।
जब खुद की जान पर बन आएंगी। यह तो वो  मां का वीर योद्धा है ।जो सरहद पर है ।जो तुम्हें चैन की नींद नसीब है। तुम क्या जानो सरहद के रात -दिन कैसे होते हैं।
गोला बारूद की आवाजों को जो मां की लोरी समझ खड़ा रहता सरहद पर । शत शत नमन है ,उस वीर जवान पर ,उस देश के वीर बेटों पर।
जय हिंद जय भारत 🇮🇳🇮🇳
उपासना मिश्रा ✍️

©Upasna Misra #PulwamaAttack #ourheroes