दिल सम्भल ज़रा ये मुहब्बत भी कातिल है वो खूबसूरत है उसके ख्वाब भी खूबसूरत है पर तू कब उसके काबिल है दिल सम्भल ज़रा ये मुहब्बत भी कातिल है वो खुद को बना रहा तू खुद को मिटा रहा इस मिटने में तुझे क्या हासिल है दिल सम्भल ज़रा ये मुहब्बत भी कातिल है वो सितारों की ख़्वाहिश पाले है, तू अन्धेरों का जुगनू वो लहराती नदिया तू टूटा कोई साहिल है दिल सम्भल ज़रा ये मुहब्बत भी कातिल है ©काव्य कुँज कला Side दिल सम्भल ज़रा #Rose