वो जब जब होती है इश्क़ की बाँहों में , ओस की बूँदें भी सीधी जा मिलती है धरती में ; पर वो जब जब होती है तन्हा अकेले में ; तब तब उसके अश्क़ों की बूँदें भी जा , ठहरती है उसके ही पलकों की कोरों में ! #इश्क #की #पनाह