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धन की तीन गतियाँ होती हैं- दान, भोग और नाश। जो न

धन की तीन गतियाँ होती हैं- दान, भोग और नाश। 
जो  ना  धन का दान देता है और ना उपभोग करता हैं उसके धन की तीसरी गति हो जाती है यानि कि नाश।

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