1.साध की धूड़ करो ईषनान साध ऊपर जाईये कुर्बान।। 2.साध सेवा वडभागी पॉइये साध संग हर कीर्तन गाईये।। 3.साध की सेवा नाम ध्याईये।। 4. अमृत बचन साधु की बानी।। अर्थ:- साधु की धूड यानी बचनों का हमें अनुसरण करके मन का ईषनान कराना है।। जो ऐसा कर्म हमे कराते हैं उन पर मन को कुर्बान जाना है।। साध की सेवा क्या है, नाम ध्याना! जो वड्डे भागो से हमें यह सेवा मिलती है ऐसे साधुओ के संग हमे परमात्मा की कीर्ति यानी गुण गायन करने चाहिए यानी हरि की कथा करनी चाहिए।। अमृत क्या है साधु के बचन जिसमे वह परमात्मा के नाम का व्यख्यान करते हैं।। ©Biikrmjet Sing #साधू