फिर एक बार हुई इंसानियत शर्मशार पर्दे में अत्याचारी और हत्यारे गूंगी बहरी बनी बैठी सरकार नारी का सम्मान नही फिर क्या करना ऐसे राज पाट का जो खोखला करदे जमीर को क्या फायदा ऐसे काम काज का खुद ही तुम दुर्गा बनो काली बनो खुद ही चुनो अपना हथियार पर्दे में अत्याचारी और हत्यारे गूंगी बहरी बनी बैठी सरकार पुरुषोत्तव का असली अर्थ ना जान सका इंसान आधिशक्ति ना मिली जब तक अधूरे थे शिव भगवान आज उसी स्त्री की दयनीय दशा है जिसके सम्मान में हुआ था कभी महाभारत का घमासान अब भी जो चुप है तो ऐसा जीवन जीना है बेकार पर्दे में अत्याचारी और हत्यारे गूंगी बहरी बनी बैठी सरकार...$ ©Neil Thakur #Women #shayari_maniac