चलो, विचार की लहर से एक समुद्र सा प्रकार दे, जो हो कुरीतियां भरी लहर को बस नकार दें, ना ज्वार में विकार हो ना शब्द की भी हार हो, लिखो की ग्रंथ यूं लिखो, असभ्य तार तार हों ।। कदंब से हो फल सजे,सदी सदी ध्वनी बजे, की हर गली बाजार सी,ये लेखनी सजे धजे, समुद्र मेरे प्यार का, विचार लेख पढ़ रहा, सनह सनह ये थार सा, समुद्र है जो बढ़ रहा ।। #समुद्र #नोजोटों #कविता #विचार #शायरी #कवि #कविश