ना आती है याद उसे माशूका, ना उसकी कमी महसूस होती है शायद अब उसका ये ज़ख्म ज़ाती बन चुका है मोम को अब फिर से सख्त होने की कोई ख्वाहिश नही वो बाती के लिए पिघल कर बड़ी ज्यादती सह चुका है वो करता नही मिन्नत किसी से भी अब वो कई बार बनकर फरियादी, देख चुका है वो खेलता नही अब जुआ मोहब्बत का वो इश्क कर के अपनी बर्बादी देख चुका है ©Sumit Sehrawat #Hill