तेरी मातृत्व की बूंदों ने हर कण कण को पाला है, धरा बनकर स्वयं जिसने यहां जीवन संभाला है! बिना शक्ति तेरे शिव भी स्वयं जैसे कोई शव हैं, हे सरिता ! तूही प्रलय और तू ही शांत धारा है .......।। -Anjali Rai (शेरनी...) लिखी जाएंगी ढ़ेरों स्वतंत्र कविताएं तुम पर... तुम्हें वर्णित किया जाएगा देवी की तरह कुछ उंगलियों पर गिने हुए नौ दिनों में.... तुम्हारा सौंदर्य परिभाषित किया