भाषा मनुष्य जीवन की अनिवार्यता है भारत एक भाग्यशाली देश है जहां संस्कृत तमिल मराठी हिंदी गुजराती मलयालम पंजाबी आदि जैसी अनेक भाषाएं सदियों से भारत की संस्कृति परंपरा और जीवन संघर्ष को आत्मसात करते हुए अपनी भाषा की यात्रा में निरंतर आगे बढ़ रही है भाषाओं के विविध देशों की अनोखी संपदा है जिसकी सकती तरह-तरह के कोलाहल में अपेक्षित ही रहती है इन सबके बीच व्यापक क्षेत्र में संवाद की भूमिका निभाने वाले हिंदी का जन्म एक लोक भाषा के रूप में हुआ था वह आज संदगी रूप से एक समृद्ध लोक भाषा थी जिसमें न केवल आम जनता बोलती थी बल्कि खुसरो सूर कबीर विद्यापति तुलसीदास जयंती मीरा रैदास रविंद्र खान जी ने कितने ही महान कवियों ने ऐसे अमर सत्य रचे जो समय बीतने के साथ-साथ अर्थ व्रत में निरंतर ताजा बने रहे का वाला उनका काव्य एक साथ आमजन से लेकर निपुण साहित्यकार तक सबके लिए आजाद शस्त्र रथ का स्थल बना रहा और उसको सब ने अपनाया परंतु भाषा स्वाभाविक ही नहीं समय संदर्भ में प्रचलित होती है वह विभिन्न प्रभाव को आत्मसात करते हुए रूप बदलती रहती है ©Ek villain #स्वभाषा में पूरा हो अमृत काल का संकलन #Hope