न तुम खुश हो न हम तो,खुशी किस हिस्से है। लोग गलतफहमी में हैं उनके अलग ही क़िस्से हैं।। जहन कांप जाता है मेरे शहर की वारदातों से। सियासत फिर से गर्मायी है पर हालात जैसे के तैसे हैं।। उन्हें ये लगता है कि मैं उनका गुनेहगार हूं। पर उन्हें खबर नहीं कि मै उससे हूं,बो मुझसे है।। सराफत मुझे सिखाओ ठीक है मैं सीख जाऊंगा। पर मै चुप रहूंगा उसके लिए, मोहब्बत मुझे जिससे है।। गंगवार अनिल 6396456757 @copyright ©anil.gangwar.1994000 ग़ज़ल अनिल की।। #DilKiAwaaz