Nojoto: Largest Storytelling Platform

रीत (दोहे) ईश्वर के दरबार में, होती जय जयकार। खड़े

रीत (दोहे)

ईश्वर के दरबार में, होती जय जयकार।
खड़े सभी कर जोड़ कर, पाने को उद्धार।।

मुक्ति वृद्ध को ही मिले, ऐसी थी यह रीत।
अब जाने क्या हो गया, समझ न आए मीत।।

वृद्धों को अब छोड़ कर, बदल रहे यह रीत।
बुला रहे इंसान को, बनकर के वह मीत।।।

जिसके जैसे कर्म हैं, फल देते भगवान।
ये भी उनकी रीत है, कहते सभी सुजान।।

पाप कर्म में जो रहे, मिले शीघ्र परिणाम।
फिर क्यों अत्याचार हो, करें सभी विश्राम।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #रीत #nojotohindi

रीत (दोहे)

ईश्वर के दरबार में, होती जय जयकार।
खड़े सभी कर जोड़ कर, पाने को उद्धार।।

मुक्ति वृद्ध को ही मिले, ऐसी थी यह रीत।
रीत (दोहे)

ईश्वर के दरबार में, होती जय जयकार।
खड़े सभी कर जोड़ कर, पाने को उद्धार।।

मुक्ति वृद्ध को ही मिले, ऐसी थी यह रीत।
अब जाने क्या हो गया, समझ न आए मीत।।

वृद्धों को अब छोड़ कर, बदल रहे यह रीत।
बुला रहे इंसान को, बनकर के वह मीत।।।

जिसके जैसे कर्म हैं, फल देते भगवान।
ये भी उनकी रीत है, कहते सभी सुजान।।

पाप कर्म में जो रहे, मिले शीघ्र परिणाम।
फिर क्यों अत्याचार हो, करें सभी विश्राम।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #रीत #nojotohindi

रीत (दोहे)

ईश्वर के दरबार में, होती जय जयकार।
खड़े सभी कर जोड़ कर, पाने को उद्धार।।

मुक्ति वृद्ध को ही मिले, ऐसी थी यह रीत।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator