वक़्त बेहिसाब सी है दौड़ती और भागती भविष्य की अंगड़ाइयाँ कितने ही रात है जागती इन अंधेरो की रौशनी है सच भी और ख़्वाब भी वक़्त के हुकमरान से है मौहलत थोड़ी सी मांगती वक़्त #पारस #हुकमरान #मौहलत #भविष्य