|| मेरी पुकार || मैं कितना बोझ सहन करूं जितनी हरियाली लाती हूं ! उतना ही मेरा दोहन होता है हरे पेड़ को काटते वक्त ! कुछ सोचा नहीं करते तुम ! हे वत्स ! तेरे CNG मैं प्रदूषित हो जाती ... तेरे भारो को मैं सहनशीलता लेती ! मैं यही सोचती हूं कि वह राम राज्य कब आयेगा ! जब चारों ओर सुगंधित हवा होगी ... वत्स उनके बीच रहेगी आपकी " धरती मां " ! ! Earth Day