किसी सवर्ण ने कभी नहीं लगाए देश विरोधी नारे भारत में एक तबका ऐसा हैं, जिसे दलित के नाम से जाना जाता है। इनके शोषण का आरोप सवर्णों पर लगता रहा है। इनके उत्थान के लिए देश में कई कानून भी बने हैं, लेकिन देश के विरोध में जब जब नारेबाजी हुई उसमे ये ही शोषित शामिल रहे। चाहें वो कन्हैया कुमार हो या कोई अन्य। अगर ये लोग देश के विरोध में आवाज बुलंद कर सकते हैं तो शोषित कैसे हैं? आज तक किसी भी मजहब के किसी सवर्ण ने ऐसा नहीं किया।