तुमसे दूरी तो हो ही गई है और हां गलतियां सब मुझसे ही हुई हैं मैंने जो कुछ कहा था उन सब के बाद मांगी सारी माफियां मेरी कम पड़ गई हैं नही कहती थी तो तुम बोलो बोलो कहती थी एक दिन कहा तो समझा की मेरा तो कहने का कोई हक ही नही है पर पलटकर उन सारी यादों को देखना तुम कभी फुर्सत में एक दफा और देखना हर पन्ने पर मैंने हमेशा तुम्हारी सिर्फ खुशी चाही है और बस तुम्हें खुश करने के लिए जो सब कुछ किय उससे मुझे खुशी मिली है और हां वो सब तुम्हारे आगे कुछ भी नही है और बस ये सब लिख रही हूं क्यों की तुम्हारी याद आ रही है तुम्हें कुछ भी जाता देने के लिए किया कभी कुछ भी नही है तुम तो समझती थी ना मुझे या ऐसा मुझे लगता था बस कभी फुर्सत मिले तो एक सवाल का जवाब देना हो सके तो की क्या मेरी दोस्ती कभी कम पड़ी थी मुझसे कोई कमी रह गई है तुम्हें खोकर लगता है जैसे अब कुछ बाकी भी नही तुमने कहा न जब "फिर से नही" तो लगा मुझे जैसे ये दोस्ती कभी रही ही नहीं है और बस यही बात चुभ रही है फुरसत में कह देना कभी मौका मिले तो की क्या ये सच है या नही है क्यों की ये बात ना खाए जा रही है,की पीछे की बातें अब तक मेरी तुम्हारे लिए कितने मतलब निकाल रही है और रख रही है जैसे मेरे तुम्हारे लिए कोई मायने ही नही है तुम जानती थी जब की मुझे की मैं कैसी हूं मैं तुम्हें क्या जताती मैंने तो तुमसे दोस्ती की है और दोस्ती निभाते हैं जताते नही हैं फुरसत में पढ़ना अगर हो सके तो और थोड़ी और फुरसत हो तो बताना क्यों की तुम्हारी खामोशी समझती हूं पर जब उनके मतलब अपने लिए सही निकले थे पर फिर भी बातें गलत हो गई थी... बातें वापस आ गई थी...मैं तुम्हारी दोस्त भले अब नही मेरा हक भी नही तो तुम अब भी नही कुछ बताओगी तो ठीक है मैं समझ जाऊंगी की मैं अब किसी जवाब के लायक भी नहीं मेरी जगह पर मैं जबरदस्ती कैसे रहती मेरी जगह तो थी ही नहीं...और यही बात चुभ रही है मैं शायद कभी दोस्त तुम्हारी बनी ही नही...मुझसे दोस्ती ठीक से हुई ही नहीं... Missing you #merisaath