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देहरी से भी लौट गया वो खिलौने वाला जब घर में न मिल

देहरी से भी लौट गया वो खिलौने वाला
जब घर में न मिला उसे कोई खरीदने वाला
मेंले की रौनक में भी न बिका इस बार कोई चिमटा
गलियों में दौड़ता वो बचपन अब मोबइल में सिमटा,

                       न वो चोर सिपाही न कही कागज की कस्ती
                   चार दिवारी में कैद हो गई वो बचपन की मस्ती
                न अब परिवार में एकता न दादा दादी की कहानी
                फॉलोअर्स और लाइक की हुई अब दुनियां दीवानी...

©Vijay Kumar
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