मांसाहारी दरिन्दों को समर्पित.... मूक जीवों को मार-मार के खाने वालो, अपनी जिह्वा का उनको स्वाद बनाने वालो। कभी भूना तो कभी तल के तुमने खाया है, मानकर भोज्य उनके रक्त को बहाया है। कभी जीवित चबा गये निरीह जीवों को, दिया था दर्द बेहिसाब उन गरीबों को। काटकर उनके अंग-अंग मुस्कुराते हो, बोटियाँ उनकी बड़े स्वाद से खा जाते हो। आज जब अपनी जान जा रही क्यों रोते हो, वही उगता है जो कि आप स्वयं बोते हो।। --रोहित #मांसाहारी #दरिन्दे #शैतान #नरगिद्ध