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याद है मुझे अच्छे से 3 बजे थे तब रात भी घनी थी  फि

याद है मुझे अच्छे से
3 बजे थे तब
रात भी घनी थी 
फिर भी 
जब शहर तुम्हारा गुजरा था
ट्रेन की खिड़की खोली थी 
सोचकर यही की
काश ख्वाबो की जगह
अब असल में भी दिख जाओ तुम
मुरादे जो खुदा से मांगी
पुरी हो जाए अभी #love
याद है मुझे अच्छे से
3 बजे थे तब
रात भी घनी थी 
फिर भी 
जब शहर तुम्हारा गुजरा था
ट्रेन की खिड़की खोली थी 
सोचकर यही की
काश ख्वाबो की जगह
अब असल में भी दिख जाओ तुम
मुरादे जो खुदा से मांगी
पुरी हो जाए अभी #love