महज़ लिखना है लिखना नही। जो भाव नही है शब्दों में, बोलो उनको लिख डालूं कैसे। लिखने को तो लिख भी डालूं, निजमन का दर्द संभालूं कैसे। लेखनशैली है शब्दों का साज नही, ये तो भावों की माला है। औरों के दर्द में जो जीता है, सच मे वही तो लिखनेवाला है। जो जिया नही, जो सहा नही, फिर, किस मुख उसका बखान हो। हो दर्द छुपा औरों का लेकिन, खुद का भी एक बयान हो। है स्वार्थ प्रधान, मैं से मैं की लड़ाई, औरों के दुख में साथ कभी जो दिया नही। सागर मंथन तो सबने देखा, वो कवि नही, बन शंकर विष जो पिया नही। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote महज़ लिखना है लिखना नही।।।