समय चाहे जो मैदान दें अगर दंगल जरूरी है तो है अभिमान के लिए स्वाभिमान के लिए अगर अड़ना जरूरी है तो है सच के लिए अगर लड़ना जरूरी है तो है अगर हक़ के लिए इंकलाब जरूरी है तो है अगर आज़ादी के लिए मरना जरूरी है तो है !! #कुश्ती ©मिहिर #कुश्ती