शरद पूर्णिमा की रात गुस्से में कहा उसने मुझसे आज फोन पे.... कि कर लो अभी तुम शादी... मैंने भी कहा ठीक है... इस शरद पूर्णिमा की रात इस शीतल चंद को साक्षी मान कर एक दूसरे से शादी कर लेते हैं ....... इस चांद की चांदनी से सिन्दूर और इस ठंडी हवा को मंगलसूत्र बना लेते हैं। ये चमकता चांद, ये ठंडी हवा, ये सफेद चांदनी, ये गहरा आसमां, रोशन करते तारें, हमारे दिल की धड़कन, तुम्हारे आंखों की खामोशी इन सातों के नाम साथ फेरे ले लेते हैं...... फिर वो खामोश हो गई...उसी ठंडे चाँद की तरह...वो खामोश हो गई..... --शुभम कुमार ©Shubham Kumar #fullmoon