अनिंद
ब्याल राति क्य बतौं, मैतें घड़ैक भी निंद नि ए,
भों कथा छुईं छें रिंगणि मुंड मा पर रिंग नि ए।
न सुपिन्यु छो, न बैम छो कुई, स्या त बल कल्पना छे मेरी
छा एक बिस्तरा मां थर्पयां द्वि लोकलाजे कैतें बींग नि ए।
यखुलि-यखुलि ज्यु मा हे कनि छिड़बिड़ाट छे मचणि,