रूठकर हमारी भूल से, तुम कितनी दूर बैठी हो, मिलने से भी मन करदिया अब तो मुँह फुलाके बैठी हो, माना की तस्वीर चिप्पा के रखी है तुमने हमारी तकिये के नीचे, याद आने पर ही बात करती थी, अब तो उससे भी गले लगाकर बैठी हो, और भरी हुई हमारी यादें का झोला भी है जो एक तरफा तुम्हारी दिल के आँगन में, गुस्से में तो हमारी चिट्ठी भी नहीं खोलती थी, अब उसे भी संभाली बैठी हो.. ©Gitesh Grover #thirtysecond #Nojoto #Shayari #Door #Chithi #गीतekनज़राना #Quotes गीत ek नज़राना...