इस ओर से उस ओर तक जीवन के अंतिम छोर तक सुबह से लेकर भोर तक तमस से लेकर अंजोर तक सिर्फ मेरी बनोगी क्या..? पतंग को बांधने वाली डोर जैसी आंखों से बहने वाली लोर जैसी कुहूकने वाली कोयल और नाचने वाली मोर जैसी मेरे मन को चुराने वाली चितचोर जैसी सिर्फ मेरी बन कर रहोगी क्या ? ©AKASSH aqsdp #meri_banogi_kya #proposeday