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ठूँठ हूँ मैं वृक्ष के नाम पर अब झूठ हूँ मैं हुआ क

ठूँठ हूँ मैं
वृक्ष के नाम पर अब
झूठ हूँ मैं

हुआ करता था
मैं भी कभी हरा भरा
फल-फूल-पत्ति
छाया से ढंकता था धरा

बंदर उछले थे
क्या कीड़े क्या मकोड़े
घोंसले बने थे
रहते थे चिड़ियों के जोड़े।

दिनभर पंछियों की
कलरव मचती थी
रातों को उल्लूओं की
पंचायत सजती थी।

मानव भी आता था
समय समय पर
कभी छाँव तो कभी
फल की उम्मीद लेकर।



 #वृक्ष #ठूँठ #pra
Pic from instagram
ठूँठ हूँ मैं
वृक्ष के नाम पर अब
झूठ हूँ मैं

हुआ करता था
मैं भी कभी हरा भरा
फल-फूल-पत्ति
छाया से ढंकता था धरा

बंदर उछले थे
क्या कीड़े क्या मकोड़े
घोंसले बने थे
रहते थे चिड़ियों के जोड़े।

दिनभर पंछियों की
कलरव मचती थी
रातों को उल्लूओं की
पंचायत सजती थी।

मानव भी आता था
समय समय पर
कभी छाँव तो कभी
फल की उम्मीद लेकर।



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pramods6281

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