अंधेरी काली रातो में, चहरे पे जाने कैसे नक़ाब पहन लेते है लोग। खेलते है जज्बातों से, फिर बदलने लगते है लोग। नक़ाब...! #अंधेरी काली #रातो में, #चहरे पे जाने कैसे #नक़ाब पहन लेते है लोग खेलते है #जज्बातों से, फिर #बदलने लगते है #लोग #khnazim