शब्दों से कविता तक का यह सफ़र भी आसान नहीं था, साँसें चलती थी, मगर जैसे अंदर ज़िंदा इंसान नहीं था। किसी ने छोड़ी भी तो नहीं थी कोई कसर आज़माने में, चाहते सब,मगर अपनाने के लिए उम्दा उन्वान नहीं था। उम्मीद और हौसले से बढ़कर कोई रिश्तेदार नहीं यहाँ, साथ खड़े थे, मगर साथ देने का इरादा-पैमान नहीं था। हालात के हिसाब से ही गाम-दर-गाम ढाला है ख़ुद को, ज़माने की नज़र में नसीब,मगर ज़्यादा शायान नहीं था। सीखते-सिखाते, ख़ुद को निखारते चलते जाना है 'धुन', जहाँ में ख़ुद से बनने वाले का इफ़ादा ख़ाक़ान नहीं था। उन्वान- Title, Heading पैमान- Promise, Agreement गाम- क़दम शायान- Worthy इफ़ादा- Benefiting ख़ाक़ान- King Rest Zone Competition Poem