गाँव में छोड़ आये जो हज़ार गज़ की बुजुर्गों कि हवेली, वो शहर में सौ गज़ में रहने को खुद की तरक्की कहते हैं…..!” गाँव में छोड़ आये जो हज़ार गज़ की बुजुर्गों कि हवेली, वो शहर में सौ गज़ में रहने को खुद की तरक्की कहते हैं…..!”