#बुंदेली रचना# •••••••••••••••••••••••••••• फसल आ गयी घर पै कक्का, धान बाजरा गन्ना मक्का। सस्ती बिकी फसल मंडी में, लगौ कलेजे पै है ढक्का। मिलीभगत सै गिरीं कीमतें, व्यापारी हो गए उचक्का। फसल छोड़ सबपै मँहगाई, है किसान अब हक्का-बक्का। कोरोना भी ठंडक पाकैं, फिर सै मार उठौ है छक्का। हमखौं हैं रोटी के टोटे, वे खावैं बादाम मुनक्का। जौ मँहगाई और दिवाली है किसान भौतइ भौंचक्का। पैसा नइंयाँ खाद बीज खौं, बड़ै न अब गाड़ी कौ चक्का। #हरिओम श्रीवास्तव# #भोपाल, म.प्र.# ------------------------------------------------------- हिंदी अर्थ :-- ढक्का= धक्का। उचक्का= चालाक, बदमाश। टोटे= अभाव,कमी,अनुपलब्धता। भौतइ = बहुत ही। खौं = को। नइंयाँ = नहीं है। ------------------------------------------------------ ©Hariom Shrivastava #CityEvening