#Pehlealfaaz यार अबकी दीपावली कुछ ऐसा मनाते है,, बुराई जला के अच्छाई से चलो अपना घर सजाते है,, खुश रहे , और रखे, की संगीत का साज सजाते है,, भूल कर सब कुछ, गैरो को भी गले लगाते है, यार अबकी,, जब मिठाई बाटना तो देखना की कोई भूखा तो नही सो रहा,, तुम्हारे पठाखो के बीच मे कोई कोने मे छुप कर तो नही रो रहा,, कोई ऐसा तो नही की जो चाह के भी न पढ़ पाया हो,, कही कोई अपना तो नही जिसे तुमने गैर समझ ठुकराया हो,, तमसो मा ज्योतिर्गमय को, दीपक बन के फैलाते है,,, कोई किसी रास्ते मे किसी किनारे उजाले बेच रहा होगा,, आँखो मे उम्मीद भर कर वो तुम्हे देख रहा होगा,, मिट्टी से तुम भी हो, और उसने भी मिट्टी से ही बनाया है,, तो फिर सोचो तुम की, वो सख्स कैसे पराया है,, बस कागज के टुकडो से , दर्द उसके खरीद लेना तुम, उम्मीद, खुशी, और मुस्कान की किरण, उसको दे देना तुम,, , राम खुद चल कर घर आएंगे,, ये राघव खुद बतलाते है,,, यार अबकी,,, #दीपावाली