Unsplash इंतज़ार में तेरे करते रहे,चाँद यारों संग मुलाक़ात..! हुई न भोर चाहतों की,न गुज़री लम्बी सी रात..! अभिलाषी मैं उदासी में,लिए हुए तस्वीर..! तक़दीर को कोसता रहा,मन पे कर आघात..! जीतने को चला जब दिल,मुश्किलों से उभरा न..! घबराये मन को देखो,आख़िर कैसी मिली ये मात..! इश्क़ है करना जैसे मरना,यूँ ही अकस्मात्..! बीच में बंधन के आ ही जाती,ये ऊँच-नीच जात-पात..! जब मिले मोहब्बत टुकड़ों में,दुखड़े बढ़ते जायें दिन रात..! जीने को मज़बूर मुकम्मल,इश्क़ की दरख्वास्त..! ©SHIVA KANT(Shayar) #traveling #intezaar