कश्ती तू है इक बड़ा समन्दर, मैं छोटी सी कश्ती पिया..... ! तू है बसा हुआ शहर, मैं उजड़ी सी बस्ती पिया...! तू है इक ठहरा सा मौसम, मैं बारिश सी ख़्सती पिया..! तू है हीरा, शान किसी कि, मैं हूँ सिप्पी सस्ती पिया..! तू बहते झरनें के जैसा, मैं कैद सी मस्ती पिया..! होगा कैसे मिलन हमारा,, मैं पल-पल यही सोचूँ रहती पिया..!! collaboration with #कश्ती #nojoto #truefeelings #poetry #myownwords #lovetowrite #writetoexplore #immatureme #immatureink #immature_ink✍️ #sneh❤️