कटी पतंग-सजी पतंग। क्यूंकि अब तुम कटी पतंग नहीं, एक नयी, लहराती,पतंग हो | #कविताअनुशीर्षकमें Dedicated to: Women by nature, Sluts by devil's overture(torture). तुम, उस कटी पतंग सी हो गयी हो, जिसके नसीब में आसमां तो है, मगर, उड़ने की चाहत नहीं, डोर तो है, मगर थामने वाला कोई नहीं, जिसके हाथ लग गई,