खुशीयो से भर गया मन अचानक बचपन की उन यादों में वो बारिश के मौसम में कागज की नाव तैराना और भीग कर वापस घर में आना फिर मां का कान पकड़कर डांट लगाना और बाद में कहना राजा बेटा खाना खा ले ऐसा सुनकर खुशीयों से मन भर गया अचानक फिर सुबह मित्रों के साथ छाता लेकर विद्यालय जाना और फिर भी भीगत हुए घर वापस आना था वो कितना प्यारा बचपन जिसमें मां की डांट भी अच्छी लगती थी काश कि लौट के आए वो बचपन जिससे खुशीयों से मन भर जाए अचानक स्वरचित रामकुमार अहरवार हर्रई बचपन