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मेरे दादा बारु राम एक मानस जो सीधा-सादा जुबान का

मेरे दादा बारु राम
एक मानस जो सीधा-सादा 
जुबान का पक्का कड़ा इरादा 
पूरा करता किया जो वादा 
वो था मेरा सगला दादा।
सर पर खंडवा हल्की मूंछे 
धोती कुर्ता ऊंचे ऊंचे
कद-काठी का थोड़ा नाटा
घात गठीला जोर का ठाडा
1 साल का हुआ था जब 
बचपन में ही बाप मर गया
जीवन संघर्ष मैं बीतेगा 
इसकी वो शुरुआत कर गया
कैसे बीतेगी मां की उम्र
घर कुनबे को ये हुई फिक्र 
हाण-दुआण का छोरा देखो 
गाम-गुहांड मै होया जिक्र
मोहर सिंह का पल्ला दे दिया
जो पहले ही था शादीशुदा 
औरत की कहां चलती थी 
मन-मसोस कर रह गई मां
उसके साथ ना बन पाई 
झगड़ा रहता मार कुटाई 
6 औलादें और हो गई 
तीन बहने तीन भाई

©Vijay Vidrohi
  #मेरा_दादा