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आदमी - आदमी से मिलता है , दिल कम जिस्म ज्यादा मिल

आदमी - आदमी से मिलता है , 
दिल कम जिस्म ज्यादा मिलता है|

भूल जाता है पिछली मुलाकात को, 
फिर वही कर्मकांड करने को मिलता है|

भूख ज्यादा बढ़ रही है अब ,
इश्क़ पानी से कम खून से ज्यादा मिलता है|

फूल भी मुरझा जाते हैं प्रेमियों के हाथों में, 
इस तरह का इश्क आजकल भरपूर मिलता है|

दुकानदार हो गए हैं या फिर भाड़े पर आता हैं, 
इश्क में फसाने वाला सरेआम नजरें मिलाता है|

"सुशील" प्रेमियों के हाथों में गुलाब नहीं मिलता, 
मिलते चाकू छुरी जिंदगी भर साथ नहीं मिलता है| आदमी - आदमी से मिलता है , 
दिल कम #जिस्म ज्यादा मिलता है|

भूल जाता है पिछली मुलाकात को, 
फिर वही #कर्मकांड करने को मिलता है|

भूख ज्यादा बढ़ रही है अब ,
इश्क़ पानी से कम #खून से ज्यादा मिलता है|
आदमी - आदमी से मिलता है , 
दिल कम जिस्म ज्यादा मिलता है|

भूल जाता है पिछली मुलाकात को, 
फिर वही कर्मकांड करने को मिलता है|

भूख ज्यादा बढ़ रही है अब ,
इश्क़ पानी से कम खून से ज्यादा मिलता है|

फूल भी मुरझा जाते हैं प्रेमियों के हाथों में, 
इस तरह का इश्क आजकल भरपूर मिलता है|

दुकानदार हो गए हैं या फिर भाड़े पर आता हैं, 
इश्क में फसाने वाला सरेआम नजरें मिलाता है|

"सुशील" प्रेमियों के हाथों में गुलाब नहीं मिलता, 
मिलते चाकू छुरी जिंदगी भर साथ नहीं मिलता है| आदमी - आदमी से मिलता है , 
दिल कम #जिस्म ज्यादा मिलता है|

भूल जाता है पिछली मुलाकात को, 
फिर वही #कर्मकांड करने को मिलता है|

भूख ज्यादा बढ़ रही है अब ,
इश्क़ पानी से कम #खून से ज्यादा मिलता है|