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#DearZindagi कल कल छल छल करती है अपनी मौज में रहती

#DearZindagi कल कल छल छल करती है
अपनी मौज में रहती है
बुझाने को प्यास जनजन की
एक छोटी नदी मेरे गांव में भी बहती है

कभी निनाद जोरों से करती है
कभी सूनी सूनी रहती है
कभी उफनती लहरों जैसे
कभी हौले हौले चलती है।।

रौद्र रूप धारण करती है
कभी शराफत बहाती है
बून्द भर को जब धरा तरसे
तब अमृत बन जाती है।।
  
सूखी पड़ी वसुधा को बून्द बून्द से भिगोती है
नित अपने जल से गांव गांव सींचती है
चंचल चपल बलखती लहरों संग
इक छोटी नदी मेरे गांव में भी बहती है
©नीलम #Ek_choti_nadi_mere_gaon_me_bhi_behti_hai
#DearZindagi कल कल छल छल करती है
अपनी मौज में रहती है
बुझाने को प्यास जनजन की
एक छोटी नदी मेरे गांव में भी बहती है

कभी निनाद जोरों से करती है
कभी सूनी सूनी रहती है
कभी उफनती लहरों जैसे
कभी हौले हौले चलती है।।

रौद्र रूप धारण करती है
कभी शराफत बहाती है
बून्द भर को जब धरा तरसे
तब अमृत बन जाती है।।
  
सूखी पड़ी वसुधा को बून्द बून्द से भिगोती है
नित अपने जल से गांव गांव सींचती है
चंचल चपल बलखती लहरों संग
इक छोटी नदी मेरे गांव में भी बहती है
©नीलम #Ek_choti_nadi_mere_gaon_me_bhi_behti_hai
neelamrawat4334

Neelam Rawat

New Creator