#DearZindagi कल कल छल छल करती है अपनी मौज में रहती है बुझाने को प्यास जनजन की एक छोटी नदी मेरे गांव में भी बहती है कभी निनाद जोरों से करती है कभी सूनी सूनी रहती है कभी उफनती लहरों जैसे कभी हौले हौले चलती है।। रौद्र रूप धारण करती है कभी शराफत बहाती है बून्द भर को जब धरा तरसे तब अमृत बन जाती है।। सूखी पड़ी वसुधा को बून्द बून्द से भिगोती है नित अपने जल से गांव गांव सींचती है चंचल चपल बलखती लहरों संग इक छोटी नदी मेरे गांव में भी बहती है ©नीलम #Ek_choti_nadi_mere_gaon_me_bhi_behti_hai