यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥"
अर्थात = जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं॥
जय गौमाता की। बहरहाल हमारे 'लालू भैया'🐄 हमको गरियाये रहे होंगे, की सखा भरी बदली में काले मेघों के मध्य ऐसी भी जलभरस्नान की क्या आवश्यकता थी, उधर कामधेनु भी शोर मचाती,लेकिन सखा तुम नही जानते भोर स्नान उपरान्त का सुख मैने भी प्राप्त किया है, अब तुम भी उसे प्राप्त करो😍