मेरे शहर का शहर यूं वीरान होना.. दुखता हैं मुझ को मेरे अपनों का ही यूं मुझसे अनजान होना, लाखो में भी मेरा यूं सुनसान होना.. सब चेहरों का एक साथ मेरे शहर में ही मुझसे .. बेमतलब अलगाव होगा.. गहरा घाव दे गया मुझको.. अपनों का यूं नाराज़ होना.. ...... करू भी तो शिकायत तो अब किससे करू.. अब तो रूठा.. नज़र पाता हूं.. मेरे खुदा से इतना.. ***" #अभय #दुखता_हैं_अब_तो