ये नफ़रतें,फ़िज़ूल बातें,रंगीन रातें,दिलों को तोड़ने का ग़म बनेगा। इन्हें न रोका गया अभी तो कसम ख़ुदा की नफरतों का अलम बनेगा। ✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल