आखरी सांसे मां मेरे भी कुछ सपने थे, क्या मेरे भी कोई अपने थे, मैं भी इस दुनिया में उड़ना चाहती थी, फुल सा खिलना चाहती थी, ख्वाबों से मिलना चाहती थी, अरे मैं बस अपनी खुशियां ही तो चाहती थी! मां मेरे भी कुछ सपने थे, क्या मेरे भी कोई अपने थे! तू ही कहती थी मैं तेरे घर की शान हूं, पापा की लाडली भाई की जान हूं, तो क्या मैं औरों के खेलने का सामान हूं, या फिर मैं उसके हवस की बनाई हुई आतिशदान हूं! मां मेरे भी कुछ सपने थे, क्या मेरे भी कोई अपने थे! फुदक फुदक के चलती थी मैं उस हसीन से दुनिया में, नहीं पता था मुझको की अंगार भरी है दुनिया में, कब कौन और कोई क्यों मुझे इस निगाहों से घूरता है, खुद की भरी इस गंदगी में क्यों मुझे नहीं निचोड़ता है! मां मेरे भी कुछ सपने थे, क्या मेरे भी कोई अपने थे! #NojotoQuote shiwanipoem#feelings#emotion#raped#girl#mom#SBSCNojoto