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पुरानी यादें आज भी, ॥मासूम बचपन की कुछ सुहानी याद

पुरानी  यादें आज भी, ॥मासूम बचपन की कुछ सुहानी यादें॥

वो शाम ढलते ही बिस्तर के आग़ोश में खो जाना...
चांदनी रात में रेडियो पे लता जी, 
मुकेश और मोहम्मद रफ़ी को सुनते सुनते सो जाना...
याद आता है कभी कभी वो बीता हुआ ज़माना...

वो सुबह उठते ही माँ से कुछ खाने के लिए मांगना...
नाश्ता कर के ,झोले में टिफ़िन बॉक्स डालना और,
पुस्तक की पहली कविता जोर जोर से गाते हुए स्कूल चले जाना...
याद आता है कभी कभी वो बीता गुजरा ज़माना...

दादी की कहानियों के क़िरदारों को सपने में देखना...
वो भूतों वाली कहानियां सुनकर अंधेरे में जाने से डर जाना...
पिताजी से डांट खाने पर मां के पल्लू में छिप के सिसक जाना...
फिर मां का प्यार से पुचकारना, और चुप कराने के लिए पिताजी को झूठ मूठ का डांटना और उसपर उनका जोर से हंस देना...
याद आता है कभी कभी वो बीता हुआ ज़माना...

जिद्द कर के मां से एक रुपये लेना, 
और संतरे वाली चार टॉफियाँ छोटे भाई संग बाँट के खाना...
खिलौनों के लिए मेले में जाने की ज़िद्द पकड़ लेना...
छोटे भाई को जानबूझकर कर तंग करना, 
उसके रोते ही मां से कुछ न बताने का वादा लेकर अपने सब खिलौने उसे सौंप देना...
हाँ यार बहुत याद आता है मुझे वो मेरा मासूम बचपन सुहाना...
                     #Ashutosh_Vishwakarma पुरानी यादें
पुरानी  यादें आज भी, ॥मासूम बचपन की कुछ सुहानी यादें॥

वो शाम ढलते ही बिस्तर के आग़ोश में खो जाना...
चांदनी रात में रेडियो पे लता जी, 
मुकेश और मोहम्मद रफ़ी को सुनते सुनते सो जाना...
याद आता है कभी कभी वो बीता हुआ ज़माना...

वो सुबह उठते ही माँ से कुछ खाने के लिए मांगना...
नाश्ता कर के ,झोले में टिफ़िन बॉक्स डालना और,
पुस्तक की पहली कविता जोर जोर से गाते हुए स्कूल चले जाना...
याद आता है कभी कभी वो बीता गुजरा ज़माना...

दादी की कहानियों के क़िरदारों को सपने में देखना...
वो भूतों वाली कहानियां सुनकर अंधेरे में जाने से डर जाना...
पिताजी से डांट खाने पर मां के पल्लू में छिप के सिसक जाना...
फिर मां का प्यार से पुचकारना, और चुप कराने के लिए पिताजी को झूठ मूठ का डांटना और उसपर उनका जोर से हंस देना...
याद आता है कभी कभी वो बीता हुआ ज़माना...

जिद्द कर के मां से एक रुपये लेना, 
और संतरे वाली चार टॉफियाँ छोटे भाई संग बाँट के खाना...
खिलौनों के लिए मेले में जाने की ज़िद्द पकड़ लेना...
छोटे भाई को जानबूझकर कर तंग करना, 
उसके रोते ही मां से कुछ न बताने का वादा लेकर अपने सब खिलौने उसे सौंप देना...
हाँ यार बहुत याद आता है मुझे वो मेरा मासूम बचपन सुहाना...
                     #Ashutosh_Vishwakarma पुरानी यादें