तोडकर दर्पण पुराना सज सवरकर आया हु !! में मज्जिल कि और अब लोटकर आया हु !! तोड दिए उनसे रिश्ते जो दिखावा करते थे छल कर-कर मुझसे जो झूठें रिश्ते रखते दे!! में अतित को भुलकर वर्तमान मे लौटा हु !! रात के अधेरो में मै जाकर लौटा हूं आखो में आक्रोश बहूत है तेरे झुठे वादो का पर मे आक्रोश को आसुओं मै बहाकर आया हु !! तु भुल गई कसमे वादे में उन्हें मिटाकर आया हूं !! अजनबी शहर का में पन्छी अब तेरे शहर में फिर से लौटकर आया हूं!! ©Nilesh borse #Yr #yrdidi #brockenheart #LO√€ #alone