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तूं मेरी‌ वाहों में, आखों से आंखे चार हुई, तेरे हो

तूं मेरी‌ वाहों में,
आखों से आंखे चार हुई,
तेरे होंठ तपते अंगारे,
मेरे होंठों से,
लगने को तैयार।
जब आपस में मिल‌ जाएंगे,
तो उनकी तपिश,
महौबत का नया,
सबक लिखेगी।

©Anil Kumar Jaswal
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